समान नागरिक संहिता का तात्पर्य है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (धर्म,जाति,लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना । वास्तव में यह एक देश एक कानून की विचारधारा पर आधारित है । अगर किसी राज्य में UCC लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषय में हर नागरिकों के लिए एक सा कानून होगा । भारतीय संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का जिक्र है. इसमें कहा गया है कि भारत के पूरे क्षेत्र में देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास किया जाएगा |
संक्षेप में, यूनिफॉर्म सिविल कोड(UCC) ।
- मैरिज, तलाक, गोद लेने और संपत्ति में सभी के लिए एक नियम. ।
- परिवार के सदस्यों के आपस के संबंध और अधिकारों में समानता. ।
- जाति, धर्म , परंपरा के आधार पर नियमों में कोई छूट नहीं. ।
- किसी भी धर्म या धर्म विशेष के लिए अलग से कोई नियम नहीं. ।
यदि UCC लागू हो गया तो ?
- शादी, तलाक, संपत्ति, गोद लेने जैसे मामलो के लिए एक समान कानून।
- सभी धर्मो में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून.
- हिंदुओं के लिए जो कानून, वहीं दूसरों के लिए भी होगा ।
- तलाक लिए बिना एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे.
- शरीयत के मुताबिक संपत्ति का बंटवारा नहीं होगा.
UCC लागू होने से क्या नहीं बदलेगा?
- धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं.
- धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं.
- ऐसा नही है कि विवाह पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे
UCC लागु करने बाला राज्य
उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी बिल पास होने के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है |
UCC का उद्देश्य:-
1.समाज के कमजोर, गरीब और संवेदनशील वर्ग को सुरक्षा और सशक्तिकरण प्रदान करना।
2. हर वर्ग की महिलाओं, बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को विकास की मुख्य धारा में जोड़ना।
3. एक समान कानून के माध्यम से एकता, अखंडता और राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देना।
4. विवाह की आयु बढ़ाकर बेटियों/बेटों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना ।
5.वर्षो से चली आ रही कुरीतियों को समाप्त करके एक समृद्ध समाज का निर्माण करना ।
6.सभी समुदायों के व्यक्तियों को समान अधिकार देकर बेटा / बेटी और महिला / पुरुष के बीच के भेदभाव को जड़ से खत्म करना।