आगमन निगमन विधि | Aagman Nigman vidhi | Teaching Methods | Inductive Deductive Method | Educational Methods |

आगमन विधि | inductive Method | :-

आगमन विधि का अर्थ है ‘कि और आना’ यह मनोवैज्ञानिक विधि है जिसमें विशिष्ट अनुभव और उदाहरण द्वारा सामान्य नियमों का निर्माण किया जाता है । इस विधि में सबसे पहले किसी सिद्धांत या समस्या को उदाहरण के द्वारा समझाया जाता है । इसके पश्चात उदाहरण, अनुभव व प्रयोग के द्वारा सिद्धांत की ओर जाते हैं। आगमन विधि में उदाहरण से सिद्धांत की ओर बढ़ते हैं । इसमें उदाहरण के द्वारा नियम या सिद्धांत बनाए जाते हैं । इस प्रकार आगमन विधि उसे विधि को कहते हैं जिसमें विशेष तथ्यों व घटनाओं के निरीक्षण तथा विश्लेषण के द्वारा सामान नियमों अथवा सिद्धांतों का निर्माण किया जाता है । इस विधि को प्रायः थकान वाली विधि भी माना जाता हे क्योकि इसमें शिक्षण प्रक्रिया बहुत लम्बी होती हे |

व्याकरण हेतु सर्वोत्तम विधि |

आगमन निगमन विधि | Aagman Nigman vidhi | Teaching Methods | Inductive Deductive Method | Educational Methods |

आगमन की शिक्षण विधि के तीन सूत्र हे ।

1.ज्ञात से अज्ञात की और 

2 विशिष्ट से सामान्य की ओर 

3.स्थल से सूक्ष्म की ओर

आगमन विधि की विशेषताए/गुण :-

1. यह एक शिक्षण की मनोवैज्ञानिक विधि है । यह विधि बालकों को नवीन ज्ञान व तथ्य को खोजने में सदैव प्रेरित करती है ।

2. इस विधि में ज्ञात से अज्ञात, सरल से जटिल, की ओर चलकर मूर्त उदाहरण के द्वारा बच्चों से सामान्य नियम निकलवाए जाते हैं ।

3. इस विधि में बच्चे सक्रिय तथा प्रसन्न रहते हैं वह उनकी रुचि निरंतर बनी रहने से उनमें रचनात्मक चिंतन, आत्मविश्वास आदि अनेक गुण विकसित हो जाते हैं ।

4. इस विधि में ज्ञान प्राप्त करते हुए बालक को सीखने के समस्त स्तरों को पार करना पड़ता है इससे शिक्षण प्रभावशाली बन जाता है ।

5. आगमन विधि में बच्चे उदाहरण का विश्लेषण करते हुए सामान्य नियम स्वयं निकाल लेते हैं इससे उनका मानसिक विकास सफलतापूर्वक हो जाता है ।

6. यह व्यावहारिक जीवन के लिए अत्यंत लाभप्रद विधि है । अतः यह विधि एक प्राकृतिक विधि भी है ।

7. इस विधि में बच्चे तर्क के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं ।

8. इस विधि द्वारा छात्र के ज्ञान को स्थाई रूप प्रदान किया जाता है ।

9. इस विधि द्वारा बालकों को नवीन ज्ञान खोजने का प्रशिक्षण मिलता है ।

10. आगमन विधि के अंतर्गत उदाहरणों के द्वारा कक्षा के वातावरण को सजीव की रुचिकर बनाया जा सकता है ।

11.प्रत्यक्ष से प्रमाण की और

12 .मूर्त से अमूर्त की और

13.यह विधि स्वयं में अपूर्ण हे क्योकि इसके निष्कर्ष को परखने के लिए निगमन विधि की जरुरत होती हे |

.14.खोज विधि

आगमन विधि के दोष:-

1. इस मिट्टी में समय ज्यादा लगता है क्योंकि इस विधि में पहले उदाहरण दिए जाते हैं इसके बाद नियमों को बनाया जाता है । इस कारण इसको सीखने में ज्यादा समय लगता है ।

2. इस विधि में समय ज्यादा लगने के कारण पाठ्यक्रम समय पर पूरा नहीं हो पाता है ।

3. समय ज्यादा लगने के कारण इस विधि में सीखने की गति या ज्ञान प्राप्त करने की गति धीमी होती है ।

4. यह विधि छोटे बालकों के लिए उपयुक्त नहीं है ।

5. इस विधि का प्रयोग केवल बड़े और बुद्धिमान बालक ही कर सकते हैं । 

6. इस विधि द्वारा सिखाते हुए बालक यदि किसी त्रुटिपूर्ण सामान्य नियम की ओर पहुंच जाए तो उन्हें सत्य की ओर लाने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ।

आगमन विधि के चरण:-

  1. उदाहरण की प्रस्तुति - इस चरण में बच्चों के सम्मुख एक ही प्रकार के अनेक उदाहरण को प्रस्तुत किया जाता है ।

  2. विश्लेषण- इस चरण में प्रस्तुत किए गए उदाहरण का बच्चों से निरीक्षण करवाया जाता है इसके पश्चात शिक्षक बच्चों से कुछ विश्लेषण के प्रश्न पूछता है और अंत में उदाहरण में से सामान्य नियम की खोज करके एक ही परिणाम पर पहुंचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ।

  3. सामान्यीकरण - इस चरण में बच्चे सामान्य नियम निकलते हैं ।

  4.  परीक्षण व सत्यापन - इस चरण में बच्चों द्वारा निकाले हुए सामान्य नियम को विभिन्न उदाहरण के द्वारा परीक्षा की जाती है एवं सत्यापन किया जाता है

निगमन विधि | Deductive Method |:-

यह विधि आगमन विधि के विपरीत है । इस विधि में अध्यापक छात्रो के सामने सबसे पहले किसी सामान्य  नियम को प्रस्तुत करता है इसके पश्चात उस नियम की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए विभिन्न उदाहरणों का प्रयोग करता है । सरल शव्दों में कहे तो कहे तो इस विधि में पहले बच्चों को नियमो को अच्छी तरह से बता दिया जाता हे इसके पश्चात उन्हें उदाहरण दिया जाता हे | बच्चों को इससे समझने में काफी आसानी होती हे और बच्चे अच्छी तरह से सीखते हे | अध्यापक पढ़ाने में इस विधि का प्रयोग सबसे अधिक करते हे | यह विधि विज्ञान  एवं गणित के लिए उपयुक्त मानी गई है । 

निगमन शिक्षण विधि के तीन सूत्र ।

1.शुक्ष्म से स्थूल की और 

2.सामान्य से विशिष्ट की और 

3.अज्ञात से ज्ञात की और 

निगमन विधि के चरण :-

1.नियमो का प्रस्तुतिकरण-

इसमें शिक्षक लोगों बच्चों के समझ सबसे पहले समान नियमों को क्रम पूर्वक प्रस्तुत करता है

2. संबंधों की स्थापना-

इसमें शिक्षक प्रस्तुत किया हुए नियमों के अंदर तर्कयुक्त संबंधों का स्थापित करते हैं ।

3. उदाहरणों की प्रस्तुति-

इस चरण में नियमों की परीक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के उदाहरणों को ढूंढा जाता है, जिससे नियमों का सत्यापन ठीक ढंग से हो जाए ।

निगमन विधि के गुण :-

1. इस विधि का प्रयोग करने से समय व शक्ति की बचत होती है ।

2. इस विधि के द्वारा कक्षा के सभी बच्चों को एक ही समय पर पढ़ाया जा सकता है ।

3. यह विधि प्रत्येक विषय को पढ़ने के लिए उपयुक्त है ।

4. इस विधि में शिक्षक का कार्य सरल होता है क्योंकि शिक्षक बने-बनाए नियमों को बालों को के सामने प्रस्तुत कर देते हैं ।

5.शिक्षक पढ़ाने में इस विधि का प्रयोग सबसे अधिक करते हे |

6.प्रमाण से प्रत्यक्ष की और

7.अमूर्त से मूर्त की और 

8.कम समय में अधिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता हे |

9.उच्च कक्षाओ के लिए यह विधि काफी प्रभावी होती हे |

आगमन विधि के दोष:-

1.इस विधि में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास नहीं हो पाता हे |

2.इस विधि में रटने की प्रवृत्ति विकसित होती हे |

3.इसमें ज्ञान अपूर्ण होता हे |

4.यह वैज्ञानिक विधि नहीं हे |

5.इस विधि में नियमो पर निर्भर रहना पड़ता हे \

6.रटने को प्रोत्साहन मिलता हे |

7.इस विधि में आत्मविश्वास का विकास नहीं होता हे |

FAQs
Q. आगमन,निगमन विधि के जनक कौन है ?

Ans. अरस्तु

Q.आगमन विधि को किस अन्य नाम से जानते हे ?

Ans.उदाहरण विधि 

Q. आगमन विधि के सोपान कोन से हे ?

Ans.उदाहरण की प्रस्तुति,विशलेषण,सामान्यीकरण,परिक्षण

Q. निगमन विधि के सोपान कोन से हे ?

Ans.नियमो का प्रस्तुतिकरण, संबंधो की स्थापना,उदाहरणों की प्रस्तुति

Q.आगमन विधि के सूत्र कौन-कौन से हैं ?

Ans.ज्ञात से अज्ञात की और,विशिष्ट से सामान्य की ओर,स्थल से सूक्ष्म की ओर 
Q.आगमन विधि के सूत्र कौन-कौन से हैं ?
Ans.शुक्ष्म से स्थूल की और,सामान्य से विशिष्ट की और,अज्ञात से ज्ञात की और


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