प्रेरक उद्धरण हमारे जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करते हैं। ये शब्द हमें विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत और आत्मविश्वास बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं। जैसे, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शव्द , "सपने वो नहीं जो हम सोते समय देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते," हमें अपने लक्ष्यों के प्रति जुनून और समर्पण का महत्व सिखाता है।
महात्मा गांधी के शब्द, "खुद वो बदलाव बनें जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं," हमें अपने कार्यों से दूसरों को प्रेरित करने की सीख देते हैं। इसी तरह, हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियाँ, "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती," हमें असफलताओं के बावजूद प्रयास करते रहने की प्रेरणा देती हैं।
प्रेरक उद्धरण हमें मानसिक शक्ति प्रदान करते हैं और यह भरोसा दिलाते हैं कि असंभव भी संभव हो सकता है। इन्हें जीवन में अपनाकर हम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं। काव्यात्मक उद्धरणों में गहरी भावनाओं और जीवन के अनुभवों को सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया जाता है। ये उद्धरण जीवन, प्रेम, संघर्ष, और आत्मबोध का सार बताते हैं।
धार्मिक उद्धरण (Devotional quotes)
गायत्री मंत्र ऋग्वेद (मंडल 3, सूक्त 62, मंत्र 10) से लिया गया है। इसे "सावित्री मंत्र" भी कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य देवता (सविता) की स्तुति करता है। यह मंत्र महर्षि विश्वामित्र द्वारा रचित माना जाता है और वेदों के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र मंत्रों में से एक है। गायत्री मंत्र का उल्लेख उपनिषदों और स्मृतियों जैसे कई धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। इसे संपूर्ण वेदों का सार कहा गया है।
⇒गायत्री मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः।
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अर्थ:-हम उस सर्वव्यापी, अद्भुत और दिव्य प्रकाश वाले परमात्मा का ध्यान करते हैं। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को प्रज्वलित करे और हमें सत्य, धर्म और ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे।
(ॐ – यह पवित्र ध्वनि ब्रह्मांड और ईश्वर का प्रतीक है।,भूः – पृथ्वी का प्रतीक, यह जीवन का आधार है।,भुवः – आकाश या अंतरिक्ष, जो जीवन के दु:खों को हरने
वाला है। स्वः – स्वर्ग लोक, जो आनंद और प्रकाश का
स्थान है।
तत् – वह परमात्मा, जो अदृश्य और सर्वोच्च है।
सवितुः सूर्य देवता, जो जीवन ऊर्जा के स्रोत हैं।
वरेण्यं पूजनीय, जिसे ध्यान और भक्ति के योग्य माना जाता है।
भर्गः दिव्य प्रकाश, जो अज्ञान को मिटाकर ज्ञान का
प्रकाश फैलाता है। देवस्य – भगवान का, जो सर्वोच्च हैं।
धीमहि – हम ध्यान करते हैं। धियो – बुद्धि। यो नः – जो हमारी। प्रचोदयात् – प्रेरणा देता है।)
चौपाई (गोस्वामी तुलसीदास)
⇒ होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
अस कहि लगे जपन हरिनामा। गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा॥
अर्थ :- जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा। तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे। (मन में) ऐसा कहकर शिवजी भगवान् श्री हरि का नाम जपने लगे और सतीजी वहाँ गईं, जहाँ सुख के धाम प्रभु श्री रामचंद्रजी थे
⇒ आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।
तुलसी तहां न राम के, अगवानी करि गेह॥
अर्थ :--इस चौपाई के माध्यम से तुलसीदास जी यह संदेश दे रहे हैं कि जहां प्रेम, स्नेह और आनंद की भावना नहीं होती, वहां भगवान राम का निवास नहीं होता। राम जहां भी जाते हैं, वहां प्रेम, खुशी और आत्मीयता का संचार होता है। यदि इन गुणों का अभाव है, तो वह स्थान भगवान के लिए उपयुक्त नहीं है।
काव्यात्मक उद्धरण (Poitic quotes)
⇒फासले इस कदर है आज कल के रिश्तों में, जैसे कोई घर खरीदा है किश्तों में। --गुलज़ार
प्रेरक उद्धरण (Motivational quotes)
⇒चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है वह काम करते हुए खामोश रहती है।
- बेंजामिन फ्रैंकलिन
⇒कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
– हरिवंश राय बच्चन
⇒जिन्हें खुद पर विश्वास होता है, वे दुनिया बदलने की ताकत रखते हैं।
– महात्मा गांधी
⇒खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। – स्वामी विवेकानंद
⇒असफलता केवल यह प्रमाणित करती है कि सफलता का प्रयास
पूरे मन से नहीं किया गया। – जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
अन्य उद्धरण (Other quotes)
⇒मिलने पर आपके कपड़ो से आपको आंका जाता है, बिदाई पर आपको आपकी बुद्धि से आंका जाता है !
~ लियो टॉलस्टॉय⇒जब-जब आपके खास लोग दूर होने लगे तो समझ लीजिए उनकी जरूरते पूरी हो चुकी है--चाणक्य