भारत का राष्ट्रगीत – वंदे मातरम् अर्थ सहित

 

भारत का राष्ट्रगीत – वंदे मातरम् अर्थ सहित

🎶 भारत का राष्ट्रगीत – वंदे मातरम्

राष्ट्रगीत: वंदे मातरम्

वंदे मातरम्!
सुजलां सुफलां
मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम्।
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्।
वंदे मातरम्!

अर्थ: मैं माँ को नमन करता हूँ! जो जल से भरपूर, फलदायी, शीतल पवनों से सुसज्जित है। जो खेतों की हरियाली से ढकी है। माँ के रूप में वह रात्रि चांदनी से आलोकित है, पुष्पों से लदी हुई वृक्षों से शोभायमान है। उसकी मुस्कान मोहक है, उसकी भाषा मधुर है, वह हमें सुख और वरदान देती है।

वंदे मातरम् भारत का राष्ट्रगीत है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी।

  • यह गीत उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ (1882) से लिया गया है।
  • गीत संस्कृत और बांग्ला भाषा के मिश्रण में लिखा गया है।
  • स्वदेशी आंदोलन (1905) और आजादी के संघर्ष में यह प्रेरणा स्रोत बना रहा।
  • 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार संगीतबद्ध किया।
  • 1950 में इसे आधिकारिक रूप से भारत का राष्ट्रगीत घोषित किया गया।

🎯 विशेष तथ्य:

  • इस गीत के केवल पहले दो पदों को ही राष्ट्रगीत के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • गीत में भारतभूमि को माता के रूप में चित्रित किया गया है – समृद्ध, सुंदर, शीतल और शक्तिशाली।
  • यह गीत राष्ट्र प्रेम, मातृभूमि की भक्ति और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाता है।
🔸 राष्ट्रगीत – वंदे मातरम्

⭐. वंदे मातरम् की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी।
⭐. यह गीत उनके उपन्यास आनंदमठ (1882) से लिया गया है।
⭐. यह गीत संस्कृत और बांग्ला मिश्रित भाषा में लिखा गया है।
⭐. 1905 के स्वदेशी आंदोलन में यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा बना।
⭐. 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया था।
⭐. जनवरी 1950 में इसे भारत का राष्ट्रगीत घोषित किया गया।
⭐. गीत में भारतभूमि को माता के रूप में चित्रित किया गया है — जो सुजलाम, सुफलाम, शांत, सौम्य, समृद्ध और शक्तिशाली है।

🔔 क्यों पढ़ें राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत?

* यह पंक्तियाँ सिर्फ शब्द नहीं, भारत की भावनात्मक एकता और राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक हैं।
* बच्चों और विद्यार्थियों के लिए यह जरूरी है कि वे न केवल इनका पाठ करें, बल्कि इनका अर्थ भी समझें।
* प्रतियोगी परीक्षाओं, भाषणों, निबंधों और सामान्य ज्ञान के लिए यह जानकारी अत्यंत उपयोगी है।


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