महात्मा गांधी — MPPSC / प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु विस्तृत नोट्स
पूरा नाम: मोहनदास करमचंद गांधी | उपनाम: महात्मा गांधी, बापू | जन्म: 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर (गुजरात) | निधन: 30 जनवरी 1948, दिल्ली
1. संक्षिप्त जीवन परिचय
मोहनदास करमचंद गांधी ब्रितानी शासन के विरोध और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वाधिक प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। लंदन में वकालत की पढ़ाई के बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए जहाँ उन्होंने वहाँ के भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। वहीं से उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धान्तों का विकास किया। 1915 में भारत लौटकर गांधीजी ने ग्रामीण सुधार, ग्राम स्वराज, सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन जैसे अनेक आंदोलनों के जरिये भारतीयों को संगठित किया और अंग्रेजी शासन के खिलाफ व्यापक जनआंदोलन खड़ा किया।
2. विचारधारा — सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह
सत्य (Satya): गांधीजी के जीवन का केन्द्र बिंदु सत्य था — विचार, शब्द और कर्म में सच्चाई।
अहिंसा (Ahimsa): हिंसा का पूर्णतः विरोध; अहिंसा मात्र चुप्पी नहीं, बल्कि सक्रिय प्रेम और सत्य की शक्ति थी।
सत्याग्रह (Satyagraha): सत्य पर आधारित संघर्ष; इसका अर्थ है — \"सत्य के लिये दृढ़ता से खड़ा होना\" पर हिंसा का प्रयोग न करना। सत्याग्रह में आत्म-त्याग, अहिंसक प्रतिरोध और नैतिक ऊँचाई पर बनकर समाज को बदलने का प्रयास शामिल है।
3. दक्षिण अफ्रीका अनुभव और प्रारम्भिक आंदोलन
दक्षिण अफ्रीका (1893–1914) में गांधीजी ने भारतीय प्रवासियों के अधिकारों के लिये संघठित विरोध किया। दास-वर्गीकरण, पास नियम और अन्य भेदभावों का विरोध करते हुए उन्होंने सफल अहिंसक संघर्ष चलाया। इस काल में उन्होंने सत्याग्रह की रणनीतियाँ और साधनों को व्यावहारिक रूप से आजमाया।
4. भारत लौटने के बाद प्रमुख आन्दोलन
- Champaran सत्याग्रह (1917): चंपारण (बिहार) के नील उत्पादकों के हितों के लिए स्थानीय किसानों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ गांधीजी का नेतृत्व; यह भारत में उनका पहला सफल सत्याग्रह था।
- Kheda आंदोलन (1918): गुजरात के खेड़ा में फसल ख़राब होने पर टैक्स माफ़ी की माँग; किसान विरोध को संगठित किया गया।
- असहयोग आंदोलन (1920–22): कानूनों, सरकारी शिक्षण संस्थाओं और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार; जनता में व्यापक भागीदारी।
- सविनय अवज्ञा एवं नमक सत्याग्रह (1930): दाँव पर नमक कर के विरोध के साथ अंग्रेज़ों के नमक कानून का अहिंसक उल्लंघन — जिसने देशव्यापी अस्थिरता ला दी।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942): क्विट इंडिया (अगस्त 1942) — तत्काल स्वतंत्रता की माँग और अंग्रेजों के खिलाफ पूर्ण नागरिक अवज्ञा; इसे ब्रिटिश शासन पर भारी दबाव कह सकते हैं।
5. गांधीजी का सामाजिक सुधार एजेंडा
गांधीजी ने सामाजिक सुधार पर बराबर जोर दिया — अस्पृश्यता और जाति-भेद के खिलाफ खुलकर खड़े रहे। उन्होंने हरिजन शब्द का प्रयोग किया और अस्पृश्यों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए काम किया। महिला सशक्तिकरण, ग्रामोद्योगों का पुनरुद्धार (खादी) और स्वदेशी को बढ़ावा उनकी नीतियों का हिस्सा था।
6. आर्थिक एवं ग्राम सिद्धांत (Gram Swaraj)
गांधीजी का आदर्श ग्राम स्वराज था — आत्मनिर्भर ग्राम जहां छोटे-किसानों, कुटीर-उद्योग और सामुदायिक जीवन को महत्व मिले। वे भौतिक-उद्योग के बड़े पैमाने पर विकास के कट्टर समर्थक नहीं थे; उन्होंने संतुलित जीवन और स्वावलंबन को प्राथमिकता दी।
7. साहित्यिक और पत्रकारीय योगदान
गांधीजी ने 'Young India', 'Harijan' और 'Navjivan' जैसे प्रकाशनों के माध्यम से अपने विचारों का प्रसार किया। उनकी आत्मकथा ‘‘The Story of My Experiments with Truth’’ (स्वयं के अनुभव) विश्वविख्यात है और उनके राजनीतिक-नैतिक दृष्टिकोण का स्पष्ट व्याख्यात्मक स्रोत है।
8. प्रमुख उद्धरण (Quotes)
“जहाँ प्रेम है वहाँ जीवन है।”
“आपको बदलना होगा, तभी दुनिया बदलेगी।”
“सत्य की विजय ही अंतिम विजय है।”
9. समयरेखा — प्रमुख तिथियाँ
1893 — दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह प्रारम्भ
1915 — भारत वापसी
1917 — चंपारण सत्याग्रह
1919 — खिलाफत आंदोलन और असहयोग का आरम्भ
1930 — नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च)
1942 — भारत छोड़ो आंदोलन (क्विट इंडिया)
1947 — भारत की स्वतंत्रता (15 अगस्त)
1948 — हत्या (30 जनवरी)
10. MPPSC हेतु वन-लाइनर (संक्षेप)
- गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर में हुआ।
- दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह के अनुभव से उन्होंने अहिंसा-आधारित राजनीति को विकसित किया।
- चंपारण सत्याग्रह (1917) भारत में उनका पहला बड़ा आंदोलन था।
- नमक सत्याग्रह (1930) ने सार्वभौमिक जनाक्रोश पैदा किया।
- क्विट इंडिया आंदोलन (1942) स्वतंत्रता हेतु निर्णायक रहा।
11. संभावित परीक्षा प्रश्न
- गांधीजी के सत्याग्रह सिद्धांत की व्याख्या कीजिए और उसका महत्व उदाहरण सहित समझाइए।
- चंपारण सत्याग्रह और नमक सत्याग्रह के कारण व परिणाम लिखिए।
- गांधीजी के ग्राम स्वराज और आर्थिक विचारों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- गांधीजी के सामाजिक सुधारों — अस्पृश्यता उन्मूलन व महिला सशक्तिकरण — पर टिप्पणी कीजिए।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी ने न केवल भारत की आज़ादी में अहम् योगदान दिया बल्कि दुनिया को अहिंसा, सच्चाई और नैतिक राजनीति का पाठ भी पढ़ाया। उनका जीवन और विचार नीतिगत, सामाजिक और नैतिक प्रश्नों पर आज भी प्रासंगिक हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से Gandhi के जीवन, आंदोलन और विचारों पर अच्छी पकड़ होने से प्रश्नों के व्यापक आयामों का उत्तर दिया जा सकता है — न केवल घटनात्मक विवरण बल्कि विचारों का आलोचनात्मक परीक्षण भी आवश्यक है।
Disclaimer / अस्वीकरण
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