🎵 भारत का राष्ट्रगान – जन गण मन (अर्थ सहित)
🎵 राष्ट्रगान का मूल पाठ:
जन गण मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब सिंधु गुजरात मराठा,
द्राविड़ उत्कल बंग।
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मागे।
गाहे तव जयगाथा,
जन गण मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।
💬 सरल हिंदी में अर्थ:
हे भारत के अधिनायक! आप ही देश के भाग्य विधाता हैं। भारत के सभी क्षेत्र – पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा, द्रविड़, उत्कल, बंगाल – सभी आपकी जय-जयकार करते हैं। विन्ध्य, हिमालय, यमुना, गंगा और समुद्र की लहरें आपकी स्तुति करती हैं। आपका शुभ नाम सुनकर हम जागते हैं, आपकी शुभ आशा करते हैं। हम आपके विजय गीत गाते हैं। आप सबका कल्याण करें! जय हो!
जन गण मन भारत का राष्ट्रगान है जिसकी रचना रवींद्रनाथ ठाकुर (Tagore) ने 1911 में की थी।
- यह मूलतः बांग्ला भाषा में लिखा गया गीत है – "Bharat Bhagya Vidhata"।
- 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में पहली बार गाया गया।
- इस गीत को 24 जनवरी 1950 को भारत का आधिकारिक राष्ट्रगान घोषित किया गया।
- इसका उच्चारण पूर्ण रूप से करने में 52 सेकंड लगते हैं।
- यह गीत भारत के विविध क्षेत्रों, संस्कृति, नदियों, पर्वतों और लोगों की एकता और गौरव का प्रतीक है।
🎯 विशेष तथ्य:
- रवींद्रनाथ टैगोर को इस रचना के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार भी मिला (हालाँकि "गीतांजलि" के लिए)।
- यह केवल पहला पद (stanza) ही राष्ट्रगान माना जाता है।
- यह गीत स्कूलों, सरकारी कार्यक्रमों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बजाया जाता है।
📌 क्यों महत्वपूर्ण हैं ये गान?
- ये केवल गीत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना, गौरव और एकता के प्रतीक हैं।
- ये भारत के भूगोल, संस्कृति और लोगों को एक सूत्र में बांधते हैं।
- बच्चों व विद्यार्थियों के लिए इनका अर्थ जानना सांस्कृतिक शिक्षा का भाग है।
- सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में इनसे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
डिस्क्लेमर: यह राष्ट्रगान "जन गण मन" केवल शैक्षणिक और सांस्कृतिक सम्मान हेतु प्रकाशित किया गया है। सभी अधिकार भारत सरकार और संबंधित रचनाकारों के पास सुरक्षित हैं। हम इस पर कोई कॉपीराइट दावा नहीं करते। पूरी जानकारी के लिए डिस्क्लेमर पेज देखें