📘 Dead Economy (डेड इकोनॉमी) क्या होती है?
डेड इकोनॉमी का अर्थ है एक ऐसी अर्थव्यवस्था जो पूरी तरह से धीमी हो चुकी हो या जिसमें आर्थिक गतिविधियाँ लगभग ठप हो गई हों। इसमें ना तो उद्योग-धंधों में उत्पादन हो रहा होता है, ना ही रोजगार के नए अवसर बनते हैं, और ना ही मांग में वृद्धि देखने को मिलती है।
🔍 सरल भाषा में समझें:
जब कोई देश या राज्य आर्थिक रूप से इतना कमजोर हो जाए कि वहाँ ना कंपनियाँ निवेश करना चाहें, ना नए व्यापार शुरू हों और ना ही आम जनता के पास खर्च करने के लिए पैसे हों — तो उसे "डेड इकोनॉमी" कहा जाता है।
🔎 डेड इकोनॉमी की मुख्य पहचान:
- ➤ GDP में लगातार गिरावट
- ➤ बेरोजगारी की दर में तीव्र वृद्धि
- ➤ उद्योग-धंधों का बंद होना
- ➤ लोगों की क्रय शक्ति में भारी गिरावट
- ➤ बैंकों में ऋण वितरण धीमा पड़ जाना
- ➤ निवेशकों का भरोसा समाप्त होना
📉 डेड इकोनॉमी के प्रमुख कारण:
- 1️⃣ आर्थिक नीतियों की विफलता
- 2️⃣ वैश्विक मंदी का प्रभाव
- 3️⃣ राजनीतिक अस्थिरता या युद्ध
- 4️⃣ सरकार का अत्यधिक कर्ज बोझ
- 5️⃣ कर प्रणाली की जटिलता और व्यापार पर अत्यधिक बोझ
- 6️⃣ बुनियादी ढांचे की कमजोर स्थिति
📊 उदाहरण:
2010 के बाद कई अफ्रीकी देशों और कुछ लैटिन अमेरिकी देशों में अर्थव्यवस्था इतनी कमजोर हो गई कि उन्हें "Dead Economy" जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। वहाँ न तो निवेश आया, न ही जनता की आर्थिक हालत सुधरी।
🛠️ समाधान क्या हो सकते हैं?
- ✔️ सरकारी निवेश बढ़ाना (जैसे – अवसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य में)
- ✔️ MSME सेक्टर को बढ़ावा देना
- ✔️ बैंकिंग सुधार और आसान ऋण उपलब्ध कराना
- ✔️ विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देना
- ✔️ टैक्स नीति को सरल और पारदर्शी बनाना
- ✔️ कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करना
📘 प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:
- 💡 डेड इकोनॉमी शब्द का उपयोग आर्थिक मंदी के चरम रूप में होता है।
- 💡 यह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाता है।
- 💡 RBI और सरकार की नीतियाँ इस स्थिति से उबारने में अहम भूमिका निभाती हैं।
📚 यह लेख UPSC, MPPSC, SSC, बैंकिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोगी हो सकता है।