| Analytical Method | विश्लेषण विधि | संश्लेषण विधि | synthetic Method | Teaching Methods | शेक्षणिक विधियाँ |


विश्लेषण विधि | Analytical Method |

विश्लेषण शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है,, खंड करना अथवा छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ना । अर्थात इस विधि में किसी समस्या को पहले छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर दिया जाता है ।  उसके बाद उन भागों के बारे में अलग-अलग अध्ययन किया जाता है। एवं किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाता है, तथा उस समस्या का समाधान किया जाता है। दूसरे शब्दों में किसी विषय या समस्या को उसके भागों में तोड़कर अध्ययन करना ही विश्लेषण विधि कहलाता है। गणित के क्षेत्र में विश्लेषण विधि बहुत ही प्रसिद्ध है। विश्लेषण विधि का प्रयोग गणितीय समस्याओं का हल खोजने के लिए किया जाता है। यह विधि बीजगणित के समीकरणों, रेखा गणित की प्रमेयों को सिद्ध करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।

इस विधि में छात्र अपनी मानसिक शक्तियों का प्रयोग करता है । जैसे तर्क एवं चिंतन आदि का प्रयोग करके समस्या के समाधान तक पहुंचता है । वह समस्या के हल में क्यों तथा कैसे जैसे तर्क प्रश्नों की सहायता भी लेता है।

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विश्लेषण विधि में निम्न शिक्षक सूत्रों का प्रयोग किया जाता है।

1. अज्ञात से ज्ञात की ओर

2. प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर

3. पूर्ण से अंश की ओर

4. निष्कर्ष से परिकल्पना की ओर

विश्लेषण विधि के सोपान

1. समस्या की प्रस्तुति

2. समस्या की अनुभूति

3. समस्या को करो में विभाजित करना

4. प्रत्येक खंड को क्रमबद्ध रूप से हल करना

विश्लेषण विधि गुण

  • यह मनोवैज्ञानिक विधि है।
  • यह विधि स्वयं हल ढूंढने की विधि है।
  • यह विधि समूह कार्य  को प्रोत्साहित करती है।
  • यह विधि छात्रों के तार्किक दृष्टिकोण का विकास करती है।
  • इस विधि में छात्र हमेशा क्रियाशील रहते हैं ।
  • इस विधि द्वारा प्राप्त होने वाले ज्ञान हमेशा स्थाई होता है। 
  • इस विधि को क्रियाशील विधि माना जाता है। 
  • इस विधि में छात्रों को खोज करने का अवसर मिलता है, माध्यमिक स्तर के लिए यह विधि श्रेष्ठ मानी जाती है ।
  • यह विधि विद्यार्थियों को समस्या का हल स्वयं खोजने पर बल देती है ।
  • यह विधि छात्रों की मानसिक शक्तियों का विकास करती है।
  • यह भी छात्रों में चिंतन मनन करने की क्षमता का विकास करती है।

विश्लेषण विधि दोष

  • अधिक तर्कशक्ति की आवश्यकता होती है।
  • इस विधि में समय भी अधिक लगता है।
  • कुशल अध्यापक की आवश्यकता होती है।
  • यह विधि लंबी मानी जाती है ।
  • समस्या का हल करने में परिश्रम अधिक लगता है ।
  •  पाठ्यक्रम देरी से पूर्ण होता है ।
  • यह छोटी कक्षाओं के लिए अधिक उपयोगी नहीं है।। 
  • इस विधि द्वारा प्रश्नों को हल करने में अथवा समस्या के निष्कर्ष तक पहुंचने में अधिक समय लगता है
  • इससे बालक में नीरसता की  भावना उत्पन्न होती है

संश्लेषण विधि | synthetic Method |

किसी समस्या के छोटे-छोटे हिस्सों को जोड़कर उस समस्या का हल निकालना ही विश्लेषण विधि कहलाता है | इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर सूत्र का पालन किया जाता है, दी गई जानकारी के आधार पर समस्या का हल ढूंढना पड़ता है | उदाहरण के लिए आयात की लंबाई 10 सेंटीमीटर है चौड़ाई 15 सेंटीमीटर है तो क्षेत्रफल निकले |


संश्लेषण विधि गुण

  • सरल व सुविधाजनक 
  • मनोवैज्ञानिक ज्ञान तीव्र  गति से मिलता है 
  • समय  एवं परिश्रम की बचत होती है
  • यह विधि विश्लेषण विधि से सरल है 
  • यह है हल या निष्कर्ष निकालने में अधिक स्थान नहीं घेरती  है
  • इस विधि को सिखाने तथा इस विधि के द्वारा समस्या के हल तक पहुंचने में समय काफी कम लगता है 
  • संश्लेषण विधि प्राथमिक कक्षाओं के लिए काफी उपयोगी विधि है 
  • विश्लेषण विधि के पश्चात संश्लेषण विधि का उपयोग आवश्यक है 
  • ज्ञात से अज्ञात की ओर अग्रसर होने का सिद्धांत मनोवैज्ञानिक है तथा छात्रों  के लिए सुविधाजनक भी है
  • शिक्षक  के कार्य को इस विधि ने अत्यधिक सरल बना दिया है 
  • यह छात्रों के सोचने समझने के कौशलों का विकास करने में सहायक है

संश्लेषण विधि दोष

  • तर्क चिंतन का अभाव 
  • छोटी कक्षाओं के लिए यह विधि अनुपयोगी है
  • यह नीरस  तथा निर्जीव विधि है 
  • इस विधि में छात्र प्रत्येक बात को समझने के लिए अध्यापक पर निर्भर रहते हैं 
  • इस विधि से छात्रों की तर्क शक्ति का विकास नहीं हो सकता 
  • यह विधि केवल सिद्ध कर सकती है समझा नहीं सकती 
  • इस विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान विद्यार्थियों के द्वारा स्वयं ढूंढा हुआ नहीं होता, इसलिए यह स्थाई नहीं होता 
  • संश्लेषण का कार्य विश्लेषण के बाद होता है, इसलिए संश्लेषण का महत्व कम होता है


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